
भारत सरकार ने पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के उत्थान के लिए प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना (PMVY) की शुरुआत 17 सितंबर 2023 को की थी। यह पहल कारीगरों को सशक्त बनाने, उनके कौशल को मजबूत करने और उनके आजीविका के साधनों को सुधारने के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
यह योजना 18 से अधिक पारंपरिक व्यवसायों को लक्षित करती है और कारीगरों को पहचान, प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और बाजार पहुंच प्रदान करने पर केंद्रित है। आइए जानें कि यह योजना कैसे काम करती है और भारत के कारीगर समुदाय के लिए यह कितनी महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की मुख्य विशेषताएं
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना विशेष रूप से उन कारीगरों और शिल्पकारों के लिए बनाई गई है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी पारंपरिक कौशल में लगे हुए हैं। यह योजना बढ़ई, सुनार, लोहार, कुम्हार, मूर्तिकार और अन्य जैसे विभिन्न व्यवसायों को कवर करती है। ये कारीगर अक्सर असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं और संसाधनों, वित्तीय सहायता और विकास के अवसरों तक उनकी पहुंच सीमित होती है। पीएम विश्वकर्मा योजना इन्हीं चुनौतियों का समाधान करने के लिए बनाई गई है।
PM Vishwakarma Yojana के लिए पात्रता मानदंड
इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक को निम्नलिखित पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा:
- आयु सीमा: आवेदक की उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
- व्यवसाय: आवेदक को उन 18 पारंपरिक व्यवसायों में से किसी एक में संलग्न होना चाहिए, जिन्हें इस योजना के अंतर्गत मान्यता दी गई है।
- अनुभव: इस योजना के लिए कोई औपचारिक शिक्षा की आवश्यकता नहीं है, लेकिन आवेदक को कम से कम 6 महीने के कार्य अनुभव वाला होना चाहिए।
यह योजना भारत के सभी क्षेत्रों के कारीगरों के लिए खुली है, और सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले कारीगर भी इस योजना का लाभ उठा सकें।
पात्र व्यवसायों की पूरी सूची और पंजीकरण प्रक्रिया के लिए आधिकारिक पीएम विश्वकर्मा पोर्टल पर जाएं।
PM Vishwakarma Yojana के लाभ
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना कई लाभ प्रदान करती है जो कारीगरों को अपने व्यवसाय को विकसित करने में मदद कर सकते हैं। आइए इन फायदों को विस्तार से जानें:
1. कौशल विकास और प्रशिक्षण
इस योजना के तहत, कारीगरों को अपने कौशल को सुधारने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का लाभ मिलता है। ये प्रशिक्षण प्रारंभिक और उन्नत स्तर के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। प्रशिक्षण अवधि के दौरान ₹500 प्रतिदिन का वजीफा दिया जाता है, जिससे कारीगर वित्तीय चिंता के बिना अपने कौशल पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
2. मान्यता और प्रमाणन
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के लाभार्थियों को प्रमाणपत्र और आईडी कार्ड प्रदान किया जाता है, जो उनके कौशल की आधिकारिक पहचान देता है। यह मान्यता कारीगरों को अधिक व्यावसायिक अवसर प्राप्त करने में मदद करेगी।
3. औजारों की खरीद के लिए प्रोत्साहन
कारीगरों के उपकरणों को आधुनिक बनाने के लिए, सरकारFका ई-वाउचर प्रदान करती है, जिससे वे उन्नत और उच्च गुणवत्ता वाले औजार खरीद सकते हैं।
4. वित्तीय सहायता
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत कारीगरों को ब्याज मुक्त ऋण प्रदान किए जाते हैं:
- पहला ऋण ₹1 लाख का होगा।
- दूसरा ऋण ₹2 लाख तक का होगा।
- ब्याज दर केवल 5% होगी, जबकि सरकार 8% ब्याज अनुदान प्रदान करेगी, जिससे लाभार्थियों पर वित्तीय बोझ कम होगा।
5. डिजिटल लेनदेन पर प्रोत्साहन
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रत्येक डिजिटल लेनदेन पर ₹1 प्रोत्साहन राशि देती है, जो अधिकतम 100 लेनदेन प्रति माह तक सीमित है।
6. विपणन और उत्पाद प्रचार
कारीगरों को उनके उत्पादों के लिए बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के लिए बाजार कनेक्शन और उत्पाद प्रचार की सुविधाएं भी दी जाएंगी। इससे उन्हें अपने उत्पादों को भारत और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचने में मदद मिलेगी।

PM Vishwakarma Yojana – अब तक की प्रगति (जनवरी 2025 तक)
श्रेणी | आंकड़े |
---|---|
लाभार्थी पंजीकरण | 4,29,762 कारीगरों ने पंजीकरण कराया |
प्रशिक्षण प्राप्त कारीगर | 2,45,239 कारीगरों को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया गया |
प्रमाणन प्राप्त कारीगर | 2,37,729 कारीगरों को प्रमाण पत्र जारी किया गया |
भौगोलिक कवरेज | 32 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू |
शामिल जिले | 283 जिले |
जन शिक्षण संस्थान (JSS) | 289 संस्थान |
उप-केंद्रों की संख्या | 11,338 उप-केंद्र |
यह व्यापक पहुंच दिखाती है कि सरकार किस तरह पारंपरिक कारीगरों को आगे बढ़ाने और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
PM Vishwakarma Yojana के लिए आवेदन कैसे करें?
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना में आवेदन करने की प्रक्रिया सरल और सीधी है:
- पंजीकरण: आवेदकों को आधिकारिक पीएम विश्वकर्मा पोर्टल पर जाकर अपना पंजीकरण कराना होगा और आवश्यक जानकारी भरनी होगी।
- कौशल आकलन: पंजीकरण के बाद, आवेदकों का कौशल परीक्षण किया जाएगा ताकि उनके लिए उचित प्रशिक्षण कार्यक्रम निर्धारित किया जा सके।
- प्रशिक्षण और प्रमाणन: आकलन के बाद, आवेदकों को प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेना होगा, जिसके बाद उन्हें प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा।
- ऋण आवेदन: सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, लाभार्थी योजना के तहत वित्तीय सहायता और ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना भारत के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए एक क्रांतिकारी पहल है। यह योजना न केवल कारीगरों को मान्यता, कौशल प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और बाजार पहुंच प्रदान करती है, बल्कि उनके पारंपरिक शिल्प को संरक्षित करने में भी मदद करती है। यह सरकार की आर्थिक सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर भारत के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सरकार की इस पहल से लाखों कारीगरों को आत्मनिर्भर बनने और अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने में सहायता मिलेगी। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में इस योजना का प्रभाव और भी व्यापक होगा, जिससे भारत के शिल्प उद्योग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकेगा।

Pankaj Kumar is a content writer at The News Ocean, covering admit cards, recruitment, and government schemes. His articles provide readers with detailed insights into application processes, eligibility, and exam updates.
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