
भारत सरकार ने अपने कर्मचारियों की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए कई राज्यों में पुरानी पेंशन योजना (OPS) को फिर से लागू कर दिया है। यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों की मांगों के जवाब में लिया गया है, जो एक स्थिर और सुरक्षित सेवानिवृत्ति योजना की आवश्यकता महसूस कर रहे थे। इसके अलावा, सरकार ने एकीकृत पेंशन योजना (UPS) की भी घोषणा की है, जिसे 1 अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा। इस लेख में हम OPS और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के बीच के अंतर को समझेंगे और नई पेंशन नीति के प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।

क्या है पुरानी पेंशन योजना (OPS)?
पुरानी पेंशन योजना (OPS) 2004 से पहले सरकारी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध थी। इस योजना के तहत, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में दिया जाता था। इसके अलावा, उन्हें महंगाई भत्ता (DA) भी मिलता था, जिससे मुद्रास्फीति का प्रभाव कम होता था।
OPS की सबसे बड़ी विशेषता इसकी निश्चितता थी, क्योंकि सरकार पूरी तरह से पेंशन का खर्च उठाती थी और कर्मचारियों को अपनी सेवा अवधि के दौरान कोई योगदान देने की आवश्यकता नहीं होती थी। यही कारण था कि यह योजना एक सुरक्षित और भरोसेमंद सेवानिवृत्ति योजना मानी जाती थी।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) की शुरुआत
2004 में, केंद्र सरकार ने OPS को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) से बदल दिया। NPS एक बाज़ार आधारित अंशदान योजना है, जिसमें कर्मचारी और सरकार दोनों पेंशन कोष में योगदान करते हैं।
इस योजना में सेवानिवृत्ति के समय मिलने वाली पेंशन की राशि निश्चित नहीं होती, बल्कि यह बाज़ार के रिटर्न और कर्मचारी के योगदान पर निर्भर करती है। हालांकि, NPS सरकार की वित्तीय ज़िम्मेदारी को कम करने के लिए लागू किया गया था, लेकिन इससे कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति लाभों में अनिश्चितता पैदा हो गई।
किन राज्यों ने फिर से OPS लागू किया?
कई राज्यों ने सरकारी कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा देने के लिए फिर से OPS लागू कर दिया है। प्रमुख राज्यों में शामिल हैं:
- राजस्थान: 1 अप्रैल 2022 को OPS पुनः लागू किया।
- छत्तीसगढ़: 11 मई 2022 को OPS बहाल किया।
- हिमाचल प्रदेश: 13 जनवरी 2023 को OPS फिर से शुरू किया।
इन राज्यों का तर्क है कि OPS के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारियों को निश्चित आय मिलती है, जिससे वे आर्थिक रूप से सुरक्षित महसूस करते हैं। हालांकि, आलोचकों का मानना है कि OPS की वापसी से राज्य सरकारों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ सकता है।
एकीकृत पेंशन योजना (UPS): नया विकल्प
अगस्त 2024 में, केंद्र सरकार ने एकीकृत पेंशन योजना (UPS) को मंजूरी दी। यह योजना OPS और NPS दोनों के लाभों को संतुलित करने के उद्देश्य से बनाई गई है।
UPS के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारी यदि कम से कम 25 वर्ष की सेवा पूरी कर लेते हैं, तो उन्हें उनके मूल वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा। यह योजना 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी और NPS के तहत मिलने वाली अनिश्चित पेंशन प्रणाली को खत्म करने का प्रयास करेगी।
OPS और UPS के वित्तीय प्रभाव
OPS और UPS की वापसी से सरकारी कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा मिलेगी, लेकिन यह सरकारों के लिए आर्थिक चुनौतियां भी पैदा करेगा।
OPS के तहत सरकार को पूरी पेंशन राशि का वित्तीय भार उठाना पड़ता है, जिससे राज्यों की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ सकता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को OPS और NPS का एक संतुलित मॉडल अपनाना चाहिए, जिससे कर्मचारियों की वित्तीय सुरक्षा और सरकार की वित्तीय स्थिति दोनों को सुरक्षित रखा जा सके।
निष्कर्ष
OPS की वापसी और UPS की शुरुआत से यह स्पष्ट है कि सरकार अपने कर्मचारियों को आर्थिक स्थिरता देने की दिशा में काम कर रही है। हालांकि, इन योजनाओं की दीर्घकालिक स्थिरता पर अभी भी बहस जारी है।

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